दोस्तों यदि आप भी भारत की मिट्टियो के बारे में विस्तार से जानना चाहते है, जिसके लिए आप इंटरनेट पर मिट्टि कितने प्रकार की होती है, सर्च कर रहे है, तो एकदम सही जगह पर आये है।
आज की इस पोस्ट में हम आपको भारत की मिट्टियो के बारे में जानकारी देने वाले है। वर्तमान में लगभग सभी प्रतियोगी परीक्षा में सामान्य ज्ञान के अंतर्गत भारत की मिट्टियो से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे जाते है।
यदि आप भी किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे है और भारत की मिट्टियो के बारे में विस्तृत रुप से जानना चाहते है तो यह पोस्ट आपके लिए खास होने वाली है। भारत की मिट्टियो के बारे में विस्तार से जानने के लिए इस पोस्ट को शुरू से लेकर अंत तक ध्यानपूर्वक जरूर पढ़े।
विषयसूची
मिट्टि कितने प्रकार की होती है
भारत की भौगोलिक स्थिति में विविधता पायी जाती है। भारत के भौगिलिक क्षेत्र में उत्तरी हिमालय, मध्य में विशाल मैदान प्रायदवपीय पठार, तटीय मैदान विस्तृत भू-भाग पर फैले हुए है। इन्ही क्षेत्रो में अलग-अलग प्रकार की मृदा पायी जाती है, जिनके बारे में हम विस्तार से जानेगे।
भारत में मुख्य रूप से 8 प्रकार की मृदा पायी जाती है, जो निम्न है –
- जलोढ़ मिट्टी
- काली मिट्टी
- लाल और पीली मिट्टी
- जंगली मिट्टी
- मरू मिट्टी
- लैटेराइट मिट्टी
- नमकीन मिट्टी
- पीट मिट्टी
अब तक आपको ये तो पता चल गया होगा की भारत में कुल 8 प्रकार की मृदाएँ होती हैं, तो चलिए अब हम इन सभी मृदाओं के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं।
1. जलोढ़ मिट्टी
यह मृदा भारत के विस्तृत क्षेत्र में लगभग 40 प्रतिशत भू-भाग पर फैली हुई है। जलोढ़ मृदा का विस्तार उत्तरप्रदेश, बिहार, पंजाब, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, पश्चिम बंगाल तथा असम राज्यों में है। जलोढ़ मृदा को भारत की सभी मिट्टियो में से सबसे उपजाऊ माना जाता है। इस मृदा में गन्ना, चावल, मक्का, दलहन जैसी फसलें उगाई जा सकती हैं।
जलोढ़ मृदा दो प्रकार की होती है। पहली खादर जलोढ़ और दूसरी बांगर जलोढ़। खादर मृदा से तात्पर्य है कि नदियों द्वारा प्रतिवर्ष बहाकर लायी गयी नविन मृदा को खादर कहते है। वही दूसरी ओर नदी के किनारे पर जमी हुई पुरानी मृदा को बांगर कहा जाता है। खादर मृदा , बांगर की तुलना में अधिक उपजाऊ होती है।
2.काली मिट्टी
इस मिट्टी का सर्वाधिक विस्तार महाराष्ट्र में है। काली मिट्टी देश के लगभग 15 प्रतिशत भू-भाग पर फैली हुई है। महाराष्ट्र के अलावा इसका विस्तार मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में है। काली मिट्टी में सर्वाधिक जलधारण करने की अद्भुत क्षमता होती है।
यह मिट्टी बहुत ज्यादा चिपचिपी होती है। जब यह मिट्टी सूखती है तो इसमें दरारे पड़ जाती है, इसलिए इसे स्वतः जुताई वाली मृदा के नाम से भी जाना जाता है। काली मिटटी के अंतर्गत सर्वाधिक रूप से उगाई जाने वाली फसलों में से गेहूं, ज्वार, अलसी, वर्जीनिया तंबाकू, कपास और गन्ना प्रमुख है।
3. लाल और पीली मिट्टी
यह मृदा देश के लगभग 18 प्रतिशत भूभाग में पायी जाती है। इस मृदा का सर्वाधिक विस्तार दक्कन के पठार के दक्षिण और पूर्वी भाग में है। लाल मिट्टी का रंग लाल, पीला और चॉकलेटी कलर का होता है। इसलिए इसे लाल-पिली मिट्टी के नाम से जाना जाता है।
यह एक प्रकार की रेतीली मृदा होती है। इस मृदा में अम्ल और पोटाश की मात्रा सर्वाधिक होती है, जबकि ह्यूमस और नाइट्रोजन बहुत कम मात्रा में पाए जाते है। इसके अतिरिक्त वैज्ञानिको का मानना है कि इस मिट्टी का लाल रंग का मुख्य कारण इसमें आयरन ऑक्साइड की उपस्थिति है।
सामन्यतः भारत में लाल-पिली मृदा में मक्का, मूंगफली, चावल, आम, संतरा जैसे फल, सब्जियाँ, आलू और दालें मुख्य रूप से उगाई जाने वाली फैसले हैं।
4. जंगली मिट्टी
यह मिटटी सर्वाधिक वनो वाले क्षेत्रो में पायी जाती है, जहाँ पर भरपूर मात्रा में वर्षा होती है। यहाँ पर यह मिट्टी मोटे कणों के रूप में पायी जाती है। भारत में इस मिटटी का सर्वाधिक विस्तार हिमालय, सह्याद्रि, पूर्वी घाट और तराई क्षेत्र के वन क्षेत्रों में है।
पर्णपाती वृक्षों की सुखी पतियों के सड़ने गलने के कारण जंगली मिटटी कृषि के लिए उपजाऊ मानी जाती है। लेकिन देवदार वृक्षों वाले स्थान पर यह मिट्टी रेतीली अवस्था में पायी जाती है अर्थात बहुत ज्यादा मात्रा में अम्लीय होती है, जिसके फलस्वरूप यह मिट्टी कृषि के लिए कम अनुकूल होती है।
5. मरू मिट्टी
यह एक प्रकार की बलुई मृदा होती है, जिसे मरुस्थलीय मिट्टी भी कहा जाता है। यह मृदा शुष्क वातावरण में पायी जाती है। इस मृदा का सर्वाधिक विस्तार पश्चिमी राजस्थान के थार के मरुस्थल में है।
इसके अतिरिक्त गुजरात, हरियाणा, दक्षिणी पंजाब तथा पश्चिमी उत्तरप्रदेश भी प्रमुख है। सामन्यतः इस मृदा के कण मोटे होते है। इस मृदा में फास्फोरस तथा लोहा प्रयाप्त मात्रा में पाया जाता है। धरती का अधिकांश भाग इसी मृदा से गिरा हुआ है।
इस मृदा में बाजरी, मूंग, मोठ, और ग्वार प्रमुख रूप से बोई जाने वाली फसले है। इन फसलों की बुवाई सिंचाई वाले क्षेत्रो के अनरूप की जाती है।
6. लैटेराइट मिट्टी
इस मिट्टी का रंग लाल होता है, लेकिन यह लाल मिटटी से पूर्णतया भिन्न होती है। लैटेराइट मृदा उष्णकटिबंधीय क्षेत्रो में पायी जाती है। लैटेराइट मृदा को काजू के उत्पादन के लिए सबसे उपजाऊ मिटटी माना जाता है। यह एक प्रकार की अम्लीय मिट्टी होती है।
हालांकि यह मिट्टी इतनी उपजाऊ नहीं होती है, लेकिन फिर भी इस मिट्टी में कपास, चावल, गेहूं, दलहन, चाय, कॉफी, रबड़, नारियल और काजू की खेती की जाती है। यह मिट्टी भारत में सर्वाधिक रूप से कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और उड़ीसा और असम राज्यों में पायी जाती है।
7. नमकीन मिट्टी
इस मिट्टी को नमकीन मिट्टी इसलिए कहा जाता है, क्योकि इसमें नमक की मात्रा सर्वाधिक होती है। इसके अतिरिक्त यह मिटटी कृषि के लिए कम उपजाऊ है, क्योकि इसमें नमक की कमी के साथ-साथ नाइट्रोजन की भी कमी पायी जाती है। जिससे फसलों पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
खारे पानी वाले क्षेत्रो में अधिकतर नमकीन मृदा पायी जाती है, जिसमे खारे पानी को सहन करने वाली फसले उगाई जाती है, जिसके अंतर्गत जौ, सरसों, गेहूं, आलू, जवार, धान, मक्का प्रमुख है।
8. पीट मिट्टी
इस मिट्टी का निर्माण गलित भूमि पर पेड़-पौधों की पतियों के सड़ने से हुआ है, जिसके फलस्वरूप वहां पर ह्यमूस की मात्रा सर्वाधिक पायी जाती है। पिट मृदा भारत के केरल और तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रो में पायी जाती है। इसके अतिरिक्त यह मृदा का उत्तर के विस्तृत मैदानों में भी पायी जाती है।
यह मिट्टी अधिक उपजाऊ मिट्टी है, जिसे कछारीय मिट्टी भी कहा जाता है। यह मिट्टी काले रंग के साथ दिखाई देती है। इस मिटटी में सामन्यतः आलू, चुकंदर, अजवाइन, प्याज, गाजर तथा सलाद उगाई जाने वाली मुख्य फसले है।
FAQs : भारत में मिट्टी कितने प्रकार की होती हैं
जलोढ़ मिट्टी कितने प्रकार की होती है?
जलोढ़ मिट्टी दो प्रकार की होती है। खादर और बांगर।
सबसे अच्छी मिट्टी कौन सी है?
दोमट मिट्टी को सबसे उपजाऊ मिट्टी माना जाता है, इसमें उगाई जाने वाली फसले अच्छी उपज देती है।
भारत में कौन सी मिट्टी सबसे ज्यादा है?
भारत में जलोढ़ मिट्टी सर्वाधिक रूप से पायी जाती है। इस मिट्टी में पोटाश, क्षार और फास्फोरस सभी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होते हैं।
Conclusion :-
उम्मीद करते है कि मिट्टि कितने प्रकार की होती है पोस्ट को पूरा पढ़ने के बाद आप मिट्टी के प्रकार के बारे में अच्छे से जान गए होंगे। यदि आपको मृदा के प्रकार पोस्ट से सम्बन्धित किसी भी प्रकार का डाउट हो तो कमेंट करके जरूर बताये।
आशा करते है कि यह पोस्ट आपकी प्रतियोगी परीक्षा के दृष्टिकोण से उपयोगी रही होगी। यदि यह पोस्ट आपको पसंद आयी हो तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ जरूर साझा करें।